नारी.......
नारी तुम स्वरुप हो-
श्रद्धा ka दया ka nishtha और हया ka.
करुणामयी शरद की धुप हो, नारी तुम स्वरुप हो..........
नारी तुम उपासना हो-
कर्ता से कर्म की, मानव से धर्म की,
कर्त्तव्य की अराधना हो, नारी तुम उपासना हो..............
नारी तुम गरिमा हो-
ममतामयी ह्रदय की, वात्सल्य और स्नेह की,
त्याग की प्रतिमा हो, नारी तुम गरिमा हो....................
नारी तुम श्रृंगार हो-
पुरुष और प्रकृति ka, man की आवृति ka,
सृष्टि ka आधार हो, नारी तुम श्रृंगार हो....................
नारी tum विश्वास हो-
पुष्प के मकरंद सा, प्रेमपूरित मन ka,
दृढ़ता ka आकाश हो, नारी तुम विश्वास हो............
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