मैं संवेदना हूँ
रुग्ण को घेरे उसके परिजनों की सेवा में मैं ही हूँ
राह गिरे अपरिचित को उठाते हाथो में मैं ही हूँ
ठण्ड में ठिठुरते मजबूर गरीब को देख हुई पीड़ा में मैं ही हूँ
मृत्यु शय्या पर पड़े अपने को देख आँखों के आंसू में मैं ही हूँ
जन्म से मृत्यु tak , हर जगह मैं ही हूँ,
सतयुग से चलती कलयुग में अब थक गयी हू मैं
क्यूंकि अब सही अर्थों में अपवादित हूँ मैं
हँसते हैं सब मेरे प्रिय पर, फिर भी उनकी पीड़ा में मैं ही हूँ
मुझसे परिचय कीजिये--- " मैं संवेदना हूँ".......
रुग्ण को घेरे उसके परिजनों की सेवा में मैं ही हूँ
राह गिरे अपरिचित को उठाते हाथो में मैं ही हूँ
ठण्ड में ठिठुरते मजबूर गरीब को देख हुई पीड़ा में मैं ही हूँ
मृत्यु शय्या पर पड़े अपने को देख आँखों के आंसू में मैं ही हूँ
जन्म से मृत्यु tak , हर जगह मैं ही हूँ,
सतयुग से चलती कलयुग में अब थक गयी हू मैं
क्यूंकि अब सही अर्थों में अपवादित हूँ मैं
हँसते हैं सब मेरे प्रिय पर, फिर भी उनकी पीड़ा में मैं ही हूँ
मुझसे परिचय कीजिये--- " मैं संवेदना हूँ".......
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